Rabindranath Tagore Jivani
रवींद्रनाथ ठाकुर
Hello students I have shared Rabindranath Tagore Jivani Rashtrabhasha रवींद्रनाथ ठाकुर जीवनी in Hindi and English.
रवींद्रनाथ ठाकुर की जीवनी का सारांश लिखिए। Write a summary of the biography of Rabindranath Tagore.
रवींद्रनाथ ठाकुर हमारे देश के एक बहुत बड़े कवि, लेखक और कलाकार हैं । उन्होंने नाटक, उपन्यास, निबंध, कविता तथा गीतों पर सैकड़ों पुस्तकें लिखीं। उनकी रचनाओं में नवीनता, उपयोगिता, विलक्षणता, शिक्षा, मनोरंजन, भक्ति, प्रेम तथा रहस्यवाद जैसे विभिन्न प्रकार के भाव मिलते हैं।
Rabindranath Tagore is a great poet, writer and artist of our country. He wrote hundreds of books on drama, novels, essays, poetry and songs. Different types of expressions like innovation, utility, eccentricity, education, entertainment, devotion, love and mysticism are found in his creations.
रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म बंगाल के एक संपन्न परिवार में हुआ था । उनकी मातृभाषा बंगाली थी । उन्होंने जो कुछ लिखा अपनी मातृभाषा में ही लिखा, पर आज संसार की सभी भाषाओं में उनके ग्रन्थों का अनुवाद प्रकाशित हो चुका है। उनकी लिखी ‘गीतांजली‘ सबसे प्रसिद्ध रचना है। विद्वानों ने ‘गीतांजली‘ को संसार की सबसे उत्तम रचना मानकर रवींद्रनाथ को ‘नोबल पुरस्कार‘ से विभूषित किया है।
Rabindranath Tagore was born in an affluent family of Bengal. His mother tongue was Bengali. Whatever he wrote, he wrote in his mother tongue, but today the translation of his books has been published in all the languages of the world. His most famous work is ‘Gitanjali’. Scholars have honored Rabindranath with the ‘Nobel Prize’, considering ‘Gitanjali’ to be the best creation in the world.
रवींद्रनाथ के दादा द्वारकानाथ ठाकुर बड़े विद्वान और दानी पुरुष थे । उनका हृदय किसी का कष्ट देखकर दया से भर जाता था । रवींद्रनाथ के पिता देवेंद्रनाथ ठाकुर भी बड़े विद्वान और त्यागी पुरुष थे । वे भी अपने पिता से कम दानशील नहीं थे । वे एक अच्छे समाज सुधारक भी थे। उन्होंने लोगों के बीच पवित्र विचार, पवित्र जीवन तथा रहन–सहन का प्रचार करने के लिए ‘ब्राह्मो समाज‘ की स्थापना की। रवींद्रनाथ देवेंद्रनाथ ठाकुर के सुपुत्र थे। उनका जन्म सन् 1861 ई. में कलकत्ते में हुआ था। उनके कई भाई–बहन थे । सारा परिवार कला और साहित्य का प्रेमी था ।
Rabindranath’s grandfather Dwarkanath Thakur was a great scholar and a charitable man. His heart was filled with compassion seeing someone’s suffering. Rabindranath’s father Devendranath Thakur was also a great scholar and a renunciate. He was also no less charitable than his father. He was also a good social reformer. He established ‘Brahmo Samaj’ to propagate pious thoughts, pious life and way of life among the people. Rabindranath was the son of Devendranath Tagore. He was born in Calcutta in 1861 AD. He had many brothers and sisters. The whole family was a lover of art and literature.
रवींद्रनाथ की प्रारंभिक शिक्षा कलकत्ते में हुई। स्कूल में पढ़ने में उनका मन नहीं लगता था। वे तो प्रकृति के पूजारी थे। इसलिए उन्होंने स्कूल छोड़ दिया । तब उनके पिता ने उनको पढ़ाने के लिए कई शिक्षक नियुक्त कर दिये । पिता साहित्य के प्रेमी होने के कारण उनसे मिलने उनके घर सदा विद्वानों एवं कवियों का जमघट रहता था। रवींद्रनाथ उनके वार्तालाप सुनकर बहुत–सी बातें सीख लेते थे । स्कूल की शिक्षा समाप्त करने के बाद वे कॉलेज की पढ़ाई के लिए लंदन चले गये। वे विलायत के लोगों के खान–पान, रहन–सहन का बड़े गौर से अध्ययन करते थे ।
Rabindranath’s early education took place in Calcutta. He did not feel like studying in school. He was a worshiper of nature. So he left the school. Then his father appointed many teachers to teach him. Due to his father being a lover of literature, there was always a gathering of scholars and poets at his house to meet him. Rabindranath used to learn many things by listening to his talks. After finishing his schooling, he went to London for college studies. He used to study the food and lifestyle of the people of Vilayat very carefully.
विलायत में भी रवींद्रनाथ का मन नहीं लगा । कुछ ही वर्ष वहाँ रहकर वे भारत वापस आ गये। उन्हें बचपन से ही साहित्य में रुचि थी । आठ वर्ष की आयु में ही उन्होंने कविता लिखना प्रारंभ कर दिया था। उन्होंने अंग्रेज़ी के कुछ नाटकों का बंगला में अनुवाद भी किया था। रवींद्रनाथ की लिखी ‘गीतांजली‘ ( गीतों की अंजली) नाम की पुस्तक उनकी रचनाओं में सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय है । स्वीडन की विद्वत्–मंडली ने उस पुस्तक की बहुत प्रशंसा की और ‘नोबल पुरस्कार‘ देकर उनको सम्मानित किया। रवींद्रनाथ भारत के सर्व प्रथम व्यक्ति थे जिन्हें नोबल पुरस्कार पाने का सौभाग्य मिला था ।
Rabindranath did not like it even in foreign countries. After staying there for a few years, he returned to India. He was interested in literature since childhood. He started writing poetry at the age of eight. He also translated some of the English plays into Bengali. The book named ‘Gitanjali’ (Anjali of Songs) written by Rabindranath is the most famous and popular of his works. Sweden’s scholarly circle praised that book very much and honored him by giving him the ‘Nobel Prize’. Rabindranath was the first person from India to get the Nobel Prize.
प्रारंभ से ही रवींद्रनाथ वर्तमान शिक्षा पद्धति को नहीं चाहते थे । इसलिए उन्होंने सन् 1901 ई. में नृत्य, बोलपुर के पास ‘शांतिनिकेतन‘ नामक एक संस्था स्थापित की। पढ़ने–लिखने के अलावा वहाँ संगीत, चित्रकला आदि की भी शिक्षा दी जाती थी । धीरे–धीरे इसकी ख्याति विदेशों में भी फैल गई । यहाँ अध्ययन करने और कलाएँ सीखने के लिए विदेशों से भी छात्र–छात्राएँ आने लगे।
From the very beginning, Rabindranath did not want the present system of education. That’s why he established an institution named ‘Shantiniketan’ near Nritya, Bolpur in 1901 AD. Apart from reading and writing, music, painting etc. were also taught there. Gradually its fame spread abroad as well. Students from abroad started coming here to study and learn arts.
7 अगस्त 1941 ई. को गुरूदेव रवींद्रनाथ का देहांत हो गया। उनकी मृत्यु से सारे संसार में शोक छा गया। रवींद्रनाथ की मृत्यु के पश्चात् शांतिनिकेतन एक विश्वविद्यालय के रूप में परिणत हो गया। रवींद्रनाथ ने साहित्य की अपूर्व सेवा की। हमारे राष्ट्रीय गान ‘जन गण मन अधिनायक जय हे…… ‘ के रचयिता भी , रवींद्रनाथहीहैं।
Gurudev Rabindranath died on 7 August 1941 AD. His death mourned the whole world. After the death of Rabindranath, Shantiniketan was transformed into a university. Rabindranath did extraordinary service to literature. Rabindranath is also the author of our National Anthem ‘Jana Gana Mana Adhinayak Jai Hai……’.